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माँ,बहन, बेटी और बहू।
हर कोना मकान का,जो चमकाये,
मकान को,सुन्दर घर जो बनाऐ। हर रिश्ता है मोहताज़ है उसी का,
माँ,बहन तो कभी बेटी बन जाये।
माँ बेटों पे ज्यादा ध्यान है देती,
चाहे सब काम करती है बेटी।
माँ बेटो के लिए व्रत रख मांगे,
उसकी उम्र भी उसे लग जाये।
बहन ही भाई का हर काम करे,
भाई के लिए पूजा,और व्रत करे।
क्यों न भाई उसकी भी पूजा करे,
ताकी बहन को भी मिले दुआएं।
बेटी परिवार को दे प्यार अपना,
हर काम करे, घर बार सजाये।
फिर भी बेटे सा न मिले प्यार,
उसपर पराया धन कहलाये।
शादी कर के दूसरे परिवार को
बहुएं अपना परिवार बनाये।
सेवा करे सास, ससुर की और
उसे पति से परमेश्वर हैं बनाये।
क्यों न हम मिल कर के उसे पूछे, कदर करे,उसको भी अपनाये ,
बहन, माँ,बेटी और बहु के लिए
हम एक नया ऐसा त्यौहार बनाये।
मकान को,सुन्दर घर जो बनाऐ। हर रिश्ता है मोहताज़ है उसी का,
माँ,बहन तो कभी बेटी बन जाये।
माँ बेटों पे ज्यादा ध्यान है देती,
चाहे सब काम करती है बेटी।
माँ बेटो के लिए व्रत रख मांगे,
उसकी उम्र भी उसे लग जाये।
बहन ही भाई का हर काम करे,
भाई के लिए पूजा,और व्रत करे।
क्यों न भाई उसकी भी पूजा करे,
ताकी बहन को भी मिले दुआएं।
बेटी परिवार को दे प्यार अपना,
हर काम करे, घर बार सजाये।
फिर भी बेटे सा न मिले प्यार,
उसपर पराया धन कहलाये।
शादी कर के दूसरे परिवार को
बहुएं अपना परिवार बनाये।
सेवा करे सास, ससुर की और
उसे पति से परमेश्वर हैं बनाये।
क्यों न हम मिल कर के उसे पूछे, कदर करे,उसको भी अपनाये ,
बहन, माँ,बेटी और बहु के लिए
हम एक नया ऐसा त्यौहार बनाये।
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