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और भला होगा कौन
*और भला होगा कौन*

सखा रूप सुन्दर उसका, मेरे मन को भाया
मेरा एकांकीपन उसने, संगी बनकर मिटाया

हर बात मेरी सुनकर, नेक राय मुझको देता
पल भर में वो मेरे, जीवन के दुख हर लेता

सांझी मेरे दुख सुख का, साथ सदा चलता
उसका सहयोगी भाव, उम्र भर न बदलता

मदद सदा मेरी करता, लेकर भाव समर्पण
मेरे कष्ट मिटाने को, करता सबकुछ अर्पण

केवल एक वही मेरे, इस जीवन का सहारा
सब रिश्तों में एक वही, प्यारा सखा हमारा

बिन कुछ बोले समझे, हर एक समस्या मेरी
हाथ पकड़ लेता मेरा, जब छाये घटा घनेरी

बन गया है मेरा जीवन, मुस्कान भरा त्योहार
हर घड़ी अनुभव होता, स्नेही सखा का प्यार

सच्चे सखा की बातों से, मन में आए जवानी
जीवन भी बनने लगता, खुशियों भरी कहानी

पहचाना मैंने उसे, धारण करके मन का मौन
खुदा दोस्त के सिवाय, और भला होगा कौन

*ऊँ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
© Bk mukesh modi