...

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काल्पनिक प्रेमी
नहीं चाहता कि तुम ख्वाब बनो मेरे लिए
न किसी भी तरह की राज बनो मेरे लिए
तुम जितनी सुंदर हो उस से कहीं ज्यादा व्यावहारिक हो
सच में अत्यंत प्यारी से प्यारी तुम्हारा मन है
तुम्हारा चेतन है
तुम शब्दों की अविरल स्रोत, निष्काम की धारा हो।
और ऐसी कोई बात नहीं, जिसका तुम में मझधार न हो।
तुम शांतचित्त प्यारी हो, कई फूलो से प्यारी हो
मैं शायद पापी होऊँ अगर तुम्हारे लिए भोग विलासी रहूँ
तुम जीवंत रसधार रहो, मैं पल- पल साक्षी रहूँ
तुम कैवल्य की साक्षी बनो,मैं आलिंगन में मुक्त रहूँ।
तुम मेरी प्रेयसी बनो, बनो मेरी चैतन्य
जीत जाऊँ मैं सारे लोक, बस अपनाना तुम मेरा समर्पण।