...

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गाँव..
हर पत्थर गो कहे है कोई बचपन की कहानी
अब भी वही खुशबु याँ हर जर्रे में बसता है..

मेरे गाँव का घर टूट के खंडर हुआ फिर भी
अब भी मेरा दिल ईंटों के मलबे में रहता है..

हर चेहरा मुझे औऱ मैं उसे जाने है पुश्तों से
हर शख़्स कुछ ना कुछ, मेरे...