...

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आग है तू
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना,
कोई न समझे तुझको अबला, घुट-घुट कर तू मत मरना,
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना।

कमज़ोर समझे जो तुझे, इक दिन वो झुक जाएंगे,
आंधी-तूफ़ां-बादल-बिजली, सबके सब रुक जाएंगे,
ये दुनिया है रंग बदलती, इसको तू पहचान ले,
कोई नहीं है तेरा अपना, अब तू इतना जान ले,
ख़ुद पे करना है भरोसा, कभी अहम् तू मत करना,
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना।

कितनी है मासूम तू, जैसे परियों की रानी है,
पत्थर भी बन जाए मोम, ऐसी तेरी कहानी है,
दर्द को तू ढ़ाल बना ले, टकराना है तूफ़ानों से,
सोच-समझकर तू चलना, लड़ना है उफानों से,
आंखों में रखना लाज तू, इनमें आंसू मत भरना,
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना।

साथ तुम्हारे मैं चलूंगा, जब तक मेरी सांस चलेगी,
जीतेंगे हम हारी बाज़ी, आग अगर ये यूं ही जलेगी,
ले आएंगे हम उजाले, मिट जाएगा ये अंधेरा,
जब ये काली रात ढ़लेगी, फिर निकलेगा नया सवेरा,
मैं 'मद’ जो खो जाऊं कहीं, कभी गिला तू मत करना,
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना।

कोई न समझे तुझको अबला, घुट-घुट कर तू मत मरना,
फूल नहीं है आग है तू, कभी किसी से मत डरना।
© मानव दास 'मद' ✍️
Manav Dass MD