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रिसीव मेरा...❤️❤️✍️✍️ (गजल)
कभी अच्छा नहीं हुआ नसीब मेरा
मुझसे ख़फ़ा ही रहा हबीब मेरा

मैं हार गया बाजी मोहब्बत की
हां,दौलतमंद निकला रकीब मेरा

जो कहता था मेरी बातें हैं मीठी सी
वो फोन भी नहीं करता रिसीव मेरा

एक तड़प है दिल में क्या कहूं 'सत्या'
पास नहीं है वो हमदम करीब मेरा

दुनिया वालों ने दिल देखा ही नहीं
सब लौट गये घर देख के गरीब मेरा

हम जिसे चाहें वो हमसे नफरत करे
मुकद्दर लिखा है खुदा ने अजीब मेरा

© Shaayar Satya