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तलाश जारी है..
तलाश जारी है फिर से उसी इंसानियत की
जिसे आज की कलयुगी मानव ने खो दिया है
इस खुबसूरत - से दुनिया की चकाचौंध में फसकर??
जो हमेशा ही दूसरों के सुख को देखकर सुखी
और दूसरों के दुख को देखकर दुखी होता था।
जो सत्य अहिंसा और ईमानदारी को ही
हमेशा अपना परम धर्म समझता था,
जो प्रेम, समर्पण, त्याग, करुणा, दया की भावना
हमेशा अपने अंतर्मन में रखता था,
जो छल- कपट, ईर्ष्या, क्रोध, लालच, घृणा की
भावनाओं से हमेशा दूर रहता था,
जो नारियों, गुरूजनों, माता - पिता,ब्राह्मणों का श्रद्धापूर्वक सम्मान करना जानता था ,
जो बेजुबानों, बेसहारों,, असहायों पर
अत्याचार करना नहीं, उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करना जानता था।
जो अपना सर्वस्व न्योछावर करके हमेशा
दूसरों के हित की बातें सोचता था।
पता नहीं, वो इंसानियत आज कहाँ खो गयी है
इस खुबसूरत - से दुनिया की चकाचौंध में फसकर ??
उसी की तलाश है हमें बहुत दिनों से ,
और उसकी तलाश अब तक जारी ही है।
— Arti Kumari Athghara(Moon) ✍✍
© All Rights Reserved
जिसे आज की कलयुगी मानव ने खो दिया है
इस खुबसूरत - से दुनिया की चकाचौंध में फसकर??
जो हमेशा ही दूसरों के सुख को देखकर सुखी
और दूसरों के दुख को देखकर दुखी होता था।
जो सत्य अहिंसा और ईमानदारी को ही
हमेशा अपना परम धर्म समझता था,
जो प्रेम, समर्पण, त्याग, करुणा, दया की भावना
हमेशा अपने अंतर्मन में रखता था,
जो छल- कपट, ईर्ष्या, क्रोध, लालच, घृणा की
भावनाओं से हमेशा दूर रहता था,
जो नारियों, गुरूजनों, माता - पिता,ब्राह्मणों का श्रद्धापूर्वक सम्मान करना जानता था ,
जो बेजुबानों, बेसहारों,, असहायों पर
अत्याचार करना नहीं, उनकी निस्वार्थ भाव से सहायता करना जानता था।
जो अपना सर्वस्व न्योछावर करके हमेशा
दूसरों के हित की बातें सोचता था।
पता नहीं, वो इंसानियत आज कहाँ खो गयी है
इस खुबसूरत - से दुनिया की चकाचौंध में फसकर ??
उसी की तलाश है हमें बहुत दिनों से ,
और उसकी तलाश अब तक जारी ही है।
— Arti Kumari Athghara(Moon) ✍✍
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