...

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कुदरत से जंग
समय का फेर कुछ ऐसा बदला
जो उड़ती थी फ़िज़ाओं में
आज जख्मी होकर गिरी थी

क्योंकि उसकी परीक्षा लेने स्वयं कुदरत आज खड़ी थी
हौसलों में शक्ति और सब्र की टूटी हर लड़ी थी
आज परीक्षा की घड़ी में कुदरत से जंग छिड़ी थी

टुटा था भरोसा पर जिद पे वो अड़ी थी
मुश्किल था सफर पर आन पर आ पड़ी थी
आर या...