...

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"सब झूठ है, सब बकवास है"....



किसी ने कहा मुझसे
के इस दुनिया मे हर शय बिकती है
झूठ है
सब, बकवास है

कबसे अपनी कुछ चीजें लेकर बैठा हूं,
आवाज़ लगा रहा हूं
पर देखो ना, कुछ भी तो नहीं बिका
लोग आते तो हैं,
हर शय को देखते हैं,
दाम पूछते हैं और चले जाते हैं

पता नहीं कब कुछ बिकता है
कुछ बिके
तो अपनी ज़रूरत का कुछ सामान खरीद लूं

मेरी दुकान में बहुत कुछ है...
मेरी थोड़ी सी बेचैनी है
बिके तो थोड़ा चैन खरीदूं
जाग के बिताई हुई कुछ रातें हैं
बिक जाए तो थोड़ी सी नींद खरीद लूं
थोड़ा सी रौशनी भी खरीदनी थी
इसलिये अपना अंधेरा भी साथ लाया हूं
चंद संभाल के रक्खे हुए धोखे भी हैं मेरे पास
पर सोचता हूं किसी को यूं ही दे दूं
आखिर धोखा भी कोई खरीदता है भला

और भी बहुत कुछ है मेरे पास जो मेरा है
नासूर ऱिश्ते, झूठा प्यार,
सच्ची नफरत, खामोश खुदा, सस्ती वफा
और पता नहीं क्या क्या
सब लाऊंगा पर पहले जो लाया हूं
वो तो बिके.

रात होने को है, काश के कम से कम
थोड़ी भूख ही बिक जाती
तो कम से कम रात को भूखा तो नहीं सोना पड़ता
किसी ने कहा मुझसे के
इस दुनिया मे हर शय बिकती है
झूठ है सब, बकवास है......