...

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"भाई पिता और बहन मां बन जाती है"
कभी कभी रिश्तों के डोर में,
जिंदगी ऐसे उलझ जाती है कि,
रिश्तों के छोर को सधाने के लिए,
भाई पिता और बहन मां बन जाती है!!

अधूरी कहां थी जिंदगी जो हों गयी,
बस कुछ दूरियों से अधूरी हो जाती है,
चाहते तो है सब कुछ मिल जाए पर,
अंततः चाहत ही बेचारी खो जाती है!!

वक़्त के साथ आने वाली ढेरों खुशियां,
बेमन के अधखुले द्वार में सिमट जाती है,
रिश्तों के छोर को सधाने के लिए,
भाई पिता और बहन मां बन जाती है!!

© Rohit Kumar Gond
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