...

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देर न हो जाये कहीं
देर न हो जाये कहीं तुम्हें आने में
सावन कई बीत गये सबको मनाने में
एक किताब हमने भी लिखी इश्क पर
देर न हो जाये कहीं तुम्हें पढ़ाने में!
तकते तकते नज़रे थकने लगी हैं
रस्ते पर कोई साया भी नहीं अब
आखिर हद हो गयी इंतजार करवाने मे
देर न हो जाये कहीं तुम्हें आने मे!
जवाब क्या दें सवाल सब पूछने लगे
तुम हो कहाँ गुम,जमाने मे
घड़ी ये बहुत धीरे चल रही है
लोग हैं हैरान ये समझाने मे
कि देर न हो जाये कहीं तुम्हें आने मे.....


© sangeeta ki diary