...

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आत्मा से संवाद
एक रात, जब चांद चुप था और तारे भी मौन,
दिल में उठे सवाल, और मैं अपनी आत्मा से मिली।
कहा मैंने, “ओ मेरी आत्मा, तू क्यों इतनी शांत है?
क्या तूने भी मेरी तरह कभी ख्वाब संजोए हैं?”

आत्मा हंसी, बोली, “तेरे हर ख्वाब में मैं हूँ,
तेरी हर चाहत में, हर जज्बात में मैं हूँ।
तू जो भी सोचे, जो भी चाहे,
वो मेरी आवाज है, जो तेरे दिल में गूंजती है।”

मैंने पूछा, “क्या मेरी राह सही है?
क्या मेरे कदम मंजिल तक पहुंचेंगे कभी?”
आत्मा बोली, “तेरे इरादे मजबूत हैं,
बस...