आख़िरी क़िताब
#अनपढ़पन्ने
धूल से भरी,
लाइब्रेरी में पड़ी,
भूली-बिसरी एक क़िताब,
जो पढ़े जाने को है बेताब।
जाने-पहचाने से लगते हैं ये जज़्बात,
सुनी-सुनाई सी लगती है ये बात।
एक किताब, जिसमें हैं दफ़न,
रिश्तों के पन्नों में उलझे, ढेरों कहानियां,
टूटते-जुड़ते शब्दों की ढेरों परेशानियां।
कुछ सफ़ेद, कुछ पीले पड़े,
कुछ महफूज़,...
धूल से भरी,
लाइब्रेरी में पड़ी,
भूली-बिसरी एक क़िताब,
जो पढ़े जाने को है बेताब।
जाने-पहचाने से लगते हैं ये जज़्बात,
सुनी-सुनाई सी लगती है ये बात।
एक किताब, जिसमें हैं दफ़न,
रिश्तों के पन्नों में उलझे, ढेरों कहानियां,
टूटते-जुड़ते शब्दों की ढेरों परेशानियां।
कुछ सफ़ेद, कुछ पीले पड़े,
कुछ महफूज़,...