...

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खो दिया...
अपनों को तो खोया हमने...
साथ ही अपनी मोहोब्बत को भी है खो दिया...
बनाना चाहते थे हम फूलो की बगिया...
पर हमने काँटों को बीज है बो दिया...
इंतज़ार मैं थे की अब मेहक उठे गी ज़िन्दगी...
जहा हममे हसना था हमने वहा भी है रो दिया...
खो दिया उन्हें जिन्हे हम पाना चाहते थे...
जिससे हम हसना चाहते थे उन्होंने भी है हमारी वजह से रो दिया...
अपनों को तो खोया हमने...
साथ ही अपनी मोहोब्बत को भी है खो दिया...
छूट गया है अब साथ भी उनका...
जिनके साथ ये ज़िन्दगी बितानी थी...
अब बातो के भी सिलसिले कम हो गए है उनसे...
जिन्हे अपनी हर एक बात बतानी थी...
दूरियाँ बढ़ गयी है उनसे भी जिसके साथ ये ज़िन्दगी बिताने थी...
वो वादे भी है टूट गए जो वादे थी ज़िन्दगी भर साथ निभाने की...
अपनों को तो खोया हमने...
साथ ही अपनी मोहोब्बत को भी है खो दिया...
बनाना चाहते थे हम फूलो की बगिया...
पर हमने काँटों का बीज है बो दिया....