...

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क़ता'अ
इक उम्र गुज़ारी तुझे देखे बगैर हमने
माना कि तिरे साथ माह ओ साल नहीं रहते
अब भी तेरा ख़्याल छू कर के गुज़र जाए
मेरे ही बस में मेरे अहवाल नहीं रहते

शाबान नाज़िर
© SN