zindgi
एक लम्हा भी मोहताज है,
कैसी हसरतों का ताज़ है।
ऐ जिंदगी मेरी थोड़ी मोहलते तो बक्श दे....
एक सैलाब सा सवालों के,
बौखलाहटों से लबरेज़ है।
ऐ जिंदगी मेरी थोड़ी मोहलतें तो बक्श दे....
ये कोन सी डगर चली,
कदम जहां से थम गए।
की थम...
कैसी हसरतों का ताज़ है।
ऐ जिंदगी मेरी थोड़ी मोहलते तो बक्श दे....
एक सैलाब सा सवालों के,
बौखलाहटों से लबरेज़ है।
ऐ जिंदगी मेरी थोड़ी मोहलतें तो बक्श दे....
ये कोन सी डगर चली,
कदम जहां से थम गए।
की थम...