...

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बस तुम्हारा हो जाना है...
कितना कुछ
कह जाते हैं
नज्म की शकल में
ये ख़त तुम्हारे

ठिठुरती रातों में
हर शब्द
चाय की गर्म घूँट सी
उतरती चली
जाती है जेहन में ,

आँखों में चमकती
नमी बन
हर बूँद इश्क़ की
आ ठहरती है

सच,
नामुकम्मल इश्क़ की
टूटती साँसों का
बिखरने से ठीक पहले
पूरी ताकत से
सिमट जाना है

तुम्हें पढ़ना जैसे
मुहब्बत छू कर
बस तुम्हारा हो जाना है



© राइटर.Mr Malik Ji.....✍