मोबाइल और इमोजी
होती है देख हलचल सी मोबाईल है हाथ में ,
पर रिश्तों की डोर छूट रही जो खड़े है साथ में ,
ईमोजी भेज हम दूर के रिश्तों को सँवार रहे ,
पास बैठे शख़्स को प्यार के,दो पल नही दे पा रहे ,
पूरा परिवार है बंद आज खुद के बनाये आशियाँ में,
पर सूकून ढूँढ रहा आनलाइन के उन बाज़ारों में ,
रिश्तों की गरमी दूर बैठे अपरिचित में ढूँढ रहे ,
पास बैठे छत के नीचे उस शख्स मे भूल रहे ,
आए दिन आन लाईन के शोर मे आह तो होती है ,
फिर ईमोजी खेल नये दिल बहलाने की तलाश होती है ,
अगर होते जो हम ज़रा सा समझदार से इंसा ,
न शुरू करते ईमोजी खेल कर रिश्तों का व्यापार ,
रिश्तों की गरमाहट को थोड़ा समय देकर आओ ,
इंतजार है उन्हें,अपनों के संग कुछ समय तो बिताओ,
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