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धीरज
इंसान भी कितना अजीब है प्राणी।
गैरों संग वह धीरज बनाए, अपनों की जिसने, कभी कदर ना जानी।।

गैरों को अच्छाई का मुखौटा पहन दिखाए,
अपनों संग जो तमीज से पेश भी ना आए।।

गैरों को कभी जो कोई बात ना समझ आए, इत्मीनान और धीरज से समझाए।
अपनों को समझाने की बात आए तो उन पर यह किस कदर चिल्लाए।।

क्यूं धीरज बन गया एक झूठा हथियार।
क्यूं धीरज हम उनके लिए खोते, जो करते है हमसे प्यार।।

बच्चा यदि कोई प्रश्न करे तो धीरज से समझाओ,
जीवन साथी की मुश्किलों को धीरज से सुलझाओ,
माता पिता को नई जीवन शैली धीरज से बतलाओ।।

इन्हीं छोटी छोटी बातों पर, अपना आपा मत तुम खो।
धीरज को सिर्फ सामाजिक जीवन तक ही, सीमित ना तुम रखो।।

रिश्तों में बनाया धीरज करता उन्हें मजबूत।
क्रोध को भी धीरज से हराना है मानवता का सबूत।।

क्रोध से हुआ धुंधला जीवन, धीरज है साफ करता।
धीरज ही जीवन में खुशियों का आगाज़ करता।।

धीरज ही दिलवाता है कोई भी मुश्किलों का हल।
इसलिए धीरज को अपनाइए जीवन में हर एक पल।।



© Vasudha Uttam