...

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चीज़ों से शौक बन गया
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के दुख सुख का लॉक बन गया....

पैसो को देकर चीज़ों से खुशिया खरीदनी चाही, बिन पैसो खुशिया मिली पानी के बुलबुलो में और कागज़ के जहाजो में,
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के दुख सुख का लॉक बन गया...

तकिए वाले घर मे थी हंसी की किलकारी,
पैसे वाले घर मे आयी थकान और परेशानिया सारी,
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के दुख सुख का लॉक बन गया....

चमकदार रंगीन कपड़ो में कभी बसती थी हमारी जान,
हल्के रंग वाले कपड़े में दिखाते है हम अब मान,
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के दुख सुख का लॉक बन गया....

कर दिया वास्तविक भावनाओ को दिल मे बंद,
बांध दिया सामानों से सुख और दुख की डोर को ऐसे जैसे कविता का हो कोई छंद,
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के सुख और दुख का लॉक बन गया...

वास्तविकता है भावनाओ का सुख,
जो समझ गया यह बात उसे नही सताएगा कभी जीवन मे ईष्या और दुख
सामान से जुड़ा खुशियो का भाव तो शौक बन गया,
जीवन के सुख और दुख का लॉक बन गया....
#Happiness dependent on things



© DM मन की बातें