...

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आखिरी उम्मीद
बहुत ज्यादा बुरे दौर से गुज़रा हूँ
मैं ज़िंदगी में,
बहुत से हादसे और तूफान देखे हैं,
और अपनी उम्र से ज्यादा
बहुत कुछ संभालने की
और बहुत कुछ समझने की कोशिश की है,
वक़्त से पहले खुद
उम्रदराज़ बना लिया,
भूल गए कि बचपना भी कोई चीज़ होती है,
अपनो की खुशियां अपनो के सपने,
अपनो की सेहत स्वस्थता,इस से ज्यादा कभी सोचा ही नही,खुद की भी कोई ज़िंदगी होती
है,ये पता ही नही था,

एक काम किया बस
जिसकी वजह से
दुनिया की नज़र में बुरे बन गए,
पर हम जानते है कि हमने जो भी किया वो वक़्त हालात को देखते हुए किया,कभी
भी स्वार्थ नही सोचा न किसी को...