...

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मुकम्मल इश्क की चाह
कब तक चलता रहेगा सफर दर सफर
खुद को सौप मुझे गुनाहगार हो जा

मैं भी छू लूं गुलाब की पखुड़ियो को
तू भी होश ओ हवास से बाहर हो जा

तेरे जिस्म से ले लूं जरा सी तपीश...