...

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तुम पास थी तो बेफिक्र बेख्याल रहता था,,
तुम पास थी तो बेफिक्र बेख्याल रहता था,,
ज़रा-सा दूर क्या हुई बेचैन-सा हो गया हुँ मैं,,

तुम मेरी गली से दूसरी गली में रहती थी,
फिर भी मेरी थी,,
अब अपनी गली में ही बे गली-सा हो गया हुँ मैं,,

इस सिहाई रात में तेरा ज़िक्र जुगनू से करते हुए,
तेरी तस्वीरों से बात करके, इश्क़ में तेरे बावला-सा हो गया हुँ मैं,,

वो तुम जानती हो, मेले से खिलौना नहीं मिलने पर ,
वो रूठा, उदास, खामोश बच्चे-सा हो गया हुँ मैं,,

मैं जानता हुँ, तुम मेरी थी,मेरी हो,मेरी ही रहोगी,,
मगर आज तुम्हारी ख़बर ना मिलने पर बेजान-सा हो गया हुँ मैं,,

अभी तो एक दिन भी नहीं गुज़रा शहर छोड़े हुए,,
तुम्हीं देखो यहाँ आकर तुम्हारे जाने के बाद,
बेहाल-सा हो गया हुँ मैं,,

आँखों में नमी, गले में ख़राश, ये लर्ज़ते हुए होंठ,
ये सिसकियाँ बता रही,,
तपती रेत पर झुलसी हुई सब्ज़-सा हो गया हुँ मैं!!❤️
© Les Alphas de Haya❣️