...

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एक मुलाकात ऐसी भी!!
न खामोश तुम थे ....
न मैं खामोश हम थे...
दिल में तूफान बहुत था
और ...
आंखों में मिलने की खुशी के आंसू भी थे पर...
अल्फाज नहीं थे...
बयां करने को
कुछ भी
बात करनी थी अपने बारे में
पर ....
दिल में तूफान बहुत था
आंखों में आंसू थे और
होंठों में दिखावे की मुस्कान
मेरी खामोशी बहुत कुछ बयां करना चाहती थी तुमको
पर दिल में ऐसा तूफान था
और
आंखों में ऐसी कशमकश कि कहीं आंसू ना तुम्हें दिख जाए इसलिए
अंदर ही अंदर पिए जा रहे थे ,अपने दर्द के साथ ,
ना जाने यह दिल क्यों इतना तूफानी था...?
क्यों आंखों में आंसू था?
क्यों तुमसे इतनी मिलने की खुशी थी?
क्यों अल्फाज नहीं था
मुझे मेरी खामोशी तोड़ने के लिए क्यों आखिर क्यों ??
क्या यही मेरी मोहब्बत थी?????तुमसे जो खामोशी में ही लिपटी रह गई और कुछ बयां ना कर पाए!!


By-💫 Firdous Khan.