अजब ही दस्तूर है इस दुनियाँ का......
अजब ही दस्तूर है इस दुनियाँ का जहाँ इंसान की पहचान भी उसके काम से हुआ करती है,
उस भाषा से मैं आज भी अनजान हूँ जिसमें शब्द कुछ और आंखें कुछ और कहा करती हैं,
जिसकी लाठी उसकी भैंस का मतलब अब समझ आया कि पैसे वालों की ही जीत हुआ करती है,
सबूतों के अभाव में गुनाहगार की बेगुनाही पीड़ित के लिए तो सजा ही हुआ करती है,
एक बात रह रहकर मेरे ज़ेहन में आती है क्या सच में दुनियाँ प्यार के दम पर चलती है,
क्योंकि प्यार तो कहीं नहीं दिखता पर प्यार में धोखा और ऑनर किलिंग अक्सर सुनने मिलती है,
प्यार की परिभाषा देकर प्यार ही छीन लिया जाता है, पिता के आशीर्वाद से कोई गुंडा अपनी हर जिद चलाये जाता है,
जिस समर्पण और प्रेम से पिता भगवान का दर्जा पाता है, फिर क्यों इन्हें भूलकर वो सिर्फ भगवान ही बन जाता है,
साथ के कसमें वादे करके भी साथ छुड़ाया जाता है, जो कभी हो सबसे प्यारा औरों के लिये रुलाया जाता है,
रिश्ते अगर दिल से जुड़े हैं तो बेनाम क्यों कबूले नहीं जाते और आँखों से जो ओझल हुआ वो भुलाया क्यों जाता है,
सच्चाई और ईमानदारी का पाठ बचपन भर सिखाया जाता है, पर अच्छा होना है गुनाह ये हर वक्त जताया जाता है,
इंसान को इंसान न समझे वो इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं, आपस में फूट कराकर लोग अपनी लूट चलाते हैं,
अनेकता में एकता वाले पहले त्यौहारों में दिखा करते थे अब दंगे फसाद और रैलियों में हुआ करते हैं,
क्या ज़रूरत है विज्ञान के आविष्कार की जहाँ खोलते तेल से भी लाई डिटेक्टर का काम लिया करते हैं,
अपराधी के साथी को भी अपराधी बताया जाता है, पर अपराधी को जो बचा ले सबसे वो वकील का दर्जा पाता है,
कलम की ताकत तो इतनी बढ़ गयी है कि देश दुनियाँ का भविष्य कागजों में समाने लगा है,
पर न्याय तो इतना सिमट गया है कि अब मिसालों में ही नज़र आने लगा है,
ऐसी दुनियाँ तो कभी मेरे ख्वाबों में भी नहीं थी, क्या बदल गयी है दुनियाँ या मेरी सोच में ही कमी थी,
अकेला हूँ मैं अब तो मेरा क्या बिगड़ पायेगा, पर हर झूठा इंसान अपनों को तरस जायेगा,
मेरी मौत भी जीत न होगी किसी बेईमान की, ये बस गवाही होगी मेरी जिद और सच्चे ईमान की,
नायक न सिर्फ फिल्मों में ही वास्तविकता में भी होते हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि वो थकहार कर रोते हैं,
मैं नायक हूँ तुम नायक हो हम सभी के अंदर नायक है, पर क्यों लगता है ऐसा कि ये नायक ही नालायक है,
उठ जागो अब इस नायक को नालायक बनने से रोको, झूठे फ़रेबी हर खलनायक को महानायक बनने से रोको,
जिद जुनून और सच्चाई से अच्छाई की लकीर बनाओ, गिरे हुए को हाथ बढ़ाकर मज़बूरों की तकदीर बनाओ,
हाथ से हाथ मिलाकर इस दुनियाँ को स्वर्ग बना दो तुम, नर्क बनी इस दुनियाँ की नई तस्वीर मुझे दिखा दो तुम......
- cursedboon (ankit bhardwaj)
@cursedboon
© cursedboon
उस भाषा से मैं आज भी अनजान हूँ जिसमें शब्द कुछ और आंखें कुछ और कहा करती हैं,
जिसकी लाठी उसकी भैंस का मतलब अब समझ आया कि पैसे वालों की ही जीत हुआ करती है,
सबूतों के अभाव में गुनाहगार की बेगुनाही पीड़ित के लिए तो सजा ही हुआ करती है,
एक बात रह रहकर मेरे ज़ेहन में आती है क्या सच में दुनियाँ प्यार के दम पर चलती है,
क्योंकि प्यार तो कहीं नहीं दिखता पर प्यार में धोखा और ऑनर किलिंग अक्सर सुनने मिलती है,
प्यार की परिभाषा देकर प्यार ही छीन लिया जाता है, पिता के आशीर्वाद से कोई गुंडा अपनी हर जिद चलाये जाता है,
जिस समर्पण और प्रेम से पिता भगवान का दर्जा पाता है, फिर क्यों इन्हें भूलकर वो सिर्फ भगवान ही बन जाता है,
साथ के कसमें वादे करके भी साथ छुड़ाया जाता है, जो कभी हो सबसे प्यारा औरों के लिये रुलाया जाता है,
रिश्ते अगर दिल से जुड़े हैं तो बेनाम क्यों कबूले नहीं जाते और आँखों से जो ओझल हुआ वो भुलाया क्यों जाता है,
सच्चाई और ईमानदारी का पाठ बचपन भर सिखाया जाता है, पर अच्छा होना है गुनाह ये हर वक्त जताया जाता है,
इंसान को इंसान न समझे वो इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं, आपस में फूट कराकर लोग अपनी लूट चलाते हैं,
अनेकता में एकता वाले पहले त्यौहारों में दिखा करते थे अब दंगे फसाद और रैलियों में हुआ करते हैं,
क्या ज़रूरत है विज्ञान के आविष्कार की जहाँ खोलते तेल से भी लाई डिटेक्टर का काम लिया करते हैं,
अपराधी के साथी को भी अपराधी बताया जाता है, पर अपराधी को जो बचा ले सबसे वो वकील का दर्जा पाता है,
कलम की ताकत तो इतनी बढ़ गयी है कि देश दुनियाँ का भविष्य कागजों में समाने लगा है,
पर न्याय तो इतना सिमट गया है कि अब मिसालों में ही नज़र आने लगा है,
ऐसी दुनियाँ तो कभी मेरे ख्वाबों में भी नहीं थी, क्या बदल गयी है दुनियाँ या मेरी सोच में ही कमी थी,
अकेला हूँ मैं अब तो मेरा क्या बिगड़ पायेगा, पर हर झूठा इंसान अपनों को तरस जायेगा,
मेरी मौत भी जीत न होगी किसी बेईमान की, ये बस गवाही होगी मेरी जिद और सच्चे ईमान की,
नायक न सिर्फ फिल्मों में ही वास्तविकता में भी होते हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि वो थकहार कर रोते हैं,
मैं नायक हूँ तुम नायक हो हम सभी के अंदर नायक है, पर क्यों लगता है ऐसा कि ये नायक ही नालायक है,
उठ जागो अब इस नायक को नालायक बनने से रोको, झूठे फ़रेबी हर खलनायक को महानायक बनने से रोको,
जिद जुनून और सच्चाई से अच्छाई की लकीर बनाओ, गिरे हुए को हाथ बढ़ाकर मज़बूरों की तकदीर बनाओ,
हाथ से हाथ मिलाकर इस दुनियाँ को स्वर्ग बना दो तुम, नर्क बनी इस दुनियाँ की नई तस्वीर मुझे दिखा दो तुम......
- cursedboon (ankit bhardwaj)
@cursedboon
© cursedboon
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