नारी
नारी है देवी स्वरूप,
जिसने दिया हमे ये रूप।
नारी ही ममता का साया,
जिसने हमे आँचल में समाया।।
नारी है जग की माता,
जिसकी हम सन्तान है।
नारी ही है धन की माता,
जिसके हम तमाम है।।
नारी की ही कोख से जन्में,
है दुनिया के वासी।
नारी की ही कोख से जन्मी,
है वीरांगनाएँ हमारी।।
नारी ही है आज का गौरव,
जिससे आज संसार है।
नारी ही है कल का वैभव,
जिस पर हमें नाज़ है।।
नारी ने ही भगाया है,
अंग्रजों को इस देश से।
नारी ने ही बचाया है,
हमको इस देश में।।
नारी पर इतने अत्याचार,
होते इस संसार में।
नारी ही तो लाज़ सम्भाले,
है इस संसार में।।
नारी है करुणा की माला,
जिसके हम मोती हैं।
नारी है माँ दुर्गा का रूप,
जिसके हम आभारी हैं।।
नारी है देवी स्वरूप,
जिसने दिया हमे ये रूप।
नारी ही ममता का साया,
जिसने हमे आँचल में समाया।।
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