ये मेरा ही दिल है न...
ये मेरा ही दिल है ना, तो फिर एकतार धड़कता क्यों नहीं?
बार-बार टूट कर बिखर जाता है, कभी सम्भलता क्यूँ नहीं?
क्यूँ करता है उम्मीद उसके मोहब्बत उससे हमनवाई का,
क्यूँ डरता...
बार-बार टूट कर बिखर जाता है, कभी सम्भलता क्यूँ नहीं?
क्यूँ करता है उम्मीद उसके मोहब्बत उससे हमनवाई का,
क्यूँ डरता...