...

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डॉ.श्रुति
प्यारी सी,थोड़ी लंबी सी,कद की,
उसकी हँसी,दूर करे चिंता सब की।

सखी है ,बेटी है किसी के लिए वो,
सबकी थी अपनी, वो एक डॉ.श्रुति।

मुझे मिली जब पहली बार वो,
मुझसे बीमारी की हिस्ट्री पूछी।

लगा की कितना समय लगा दिया,
मुझे वो थोड़ी सुस्त लगी थी।

पर जब जाना उसे,तो जाना की,
कुछ तो अलग सी बात है उसकी।

रोज़ मेरे लिए फ़ोन पर गाना लगाती,
मेरी बातें सुनती,कुछ अपनी सुनाती।

फिर वो तबादला हो जाना उसका,
गले लगी, आंख नम थी उसकी।

बहुत लोग मिलतें है दुनिया में,
पर उससे होते है बहुत कम ही ।

कोई भी अदा/बात उसकी न भूली,
याद आती है आज भी हर बात उसकी।

दुआ है रब से, सदा खुश रहे वो,
मिले सारी खुशियाँ उसे इस जहां की।