मेरा इश्क़ -एक परिंदा
मेरा इश्क़ एक परिंदा, इसे आज़ाद ही रहने दो।
ना बांधो इसे किसी पिंजरे में ,इसे आज़ाद ही जीने दो ।
जो रखोगे इसे किसी कैद में , खुद भी आओगे कभी कैद में
इस पिंजरे को दूर ही रहने दो,
मेरा इश्क़ एक परिंदा , इसे आज़ाद ही रहने दो ।।
सिर्फ दाने-पानी से गुजा़रा होता नहीं,
छोटी सी जगह में कुछ पनपता नहीं।...
ना बांधो इसे किसी पिंजरे में ,इसे आज़ाद ही जीने दो ।
जो रखोगे इसे किसी कैद में , खुद भी आओगे कभी कैद में
इस पिंजरे को दूर ही रहने दो,
मेरा इश्क़ एक परिंदा , इसे आज़ाद ही रहने दो ।।
सिर्फ दाने-पानी से गुजा़रा होता नहीं,
छोटी सी जगह में कुछ पनपता नहीं।...