...

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बदलाव....
बदलने लगे हैं हम खुद को
बहस करना अच्छा नहीं लगता

महफ़िल में बैठेंगे कभी तो
उनकी चर्चा चलेगी ही चलेगी

कब तक बहाने बनाएंगे हम
कभी तो असलियत खुलेगी ही

भीड़ पसंद है उनको बहुत
हमको खामोशी ही अच्छी लगेगी

दूरियों को जबसे अंजाम दिया उन्होंने
फिर कैसे ये दुनियां हमको अच्छी लगेगी !!