...

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सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है।
अब उठो तुम है इंतजार किसका
रात रानी का पुष्प फ़िर महका है।

प्रेम का तिनका तिनका जोड़ा है
दिल का बनाकर सनम घोंसला,
परवाज़ मिल जाए मोहब्बत को
इश्क़ का पंछी फ़िर चहका है।

भोर होते ही उड़ जाते हैं
सांझ को घर फ़िर आते हैं।
प्रियतम से मिलकर दो दिलों का
तन-मन बहका बहका जाते है।






© sarikaquotes