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जीवन दर्शन
विकल भाव से विचरित जगत,
शूल जड़ित जीवन का हर पथ,
तड़ित भाव मन हो उद्गम स्थल,
कृतज्ञता ज्ञापित कर मनुज मन,
शीश नवा धन्य गुरु पद पंकज,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
शिक्षित दीक्षित हो मन उपवन,
गुह्यज्ञान गुहितकर के सब जन,
व्यग्र भाव से उपचारित हो मन,
मोक्षमार्ग पर कर निश्चित गमन,
मुदितभाव युक्त आह्लादित मन,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
अवर्चित को अर्जित कर स्वमन,
ध्येय सकल सार्थक अनुरंजन,
धुम्र विलोपित दृग सब सक्षम,
धन्य गुरु कृपा गुंजित हृदयंगम,
शीश नवा धन्य गुरु पद पंकज,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
© SÀTYÀM_pd @SPD_
शूल जड़ित जीवन का हर पथ,
तड़ित भाव मन हो उद्गम स्थल,
कृतज्ञता ज्ञापित कर मनुज मन,
शीश नवा धन्य गुरु पद पंकज,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
शिक्षित दीक्षित हो मन उपवन,
गुह्यज्ञान गुहितकर के सब जन,
व्यग्र भाव से उपचारित हो मन,
मोक्षमार्ग पर कर निश्चित गमन,
मुदितभाव युक्त आह्लादित मन,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
अवर्चित को अर्जित कर स्वमन,
ध्येय सकल सार्थक अनुरंजन,
धुम्र विलोपित दृग सब सक्षम,
धन्य गुरु कृपा गुंजित हृदयंगम,
शीश नवा धन्य गुरु पद पंकज,
जीवनदर्शन गुरु पथ प्रदर्शक।
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