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ढूंढता है
जमीन का एक सितारा आसमान दूंढता है!
वो अपनी जिन्दगी में एक मुकाम ढूंढता है ।
बड़ा बैचन सा रहता है वो आजकल ,
जरा सुकून ,जरा सा आराम ढूंढता है ।
दिल किसी चीज में लगता तो नहीं,
लेकिन दिल लगाने के बहाने हजार ढूंढता है ।
उसके कुछ कायदे दुनिया से जुदा है बिल्कुल,
वो एक शख्स में सारा जहान ढूंढता है ।
-सुशील बर्णवाल
© All Rights Reserved
वो अपनी जिन्दगी में एक मुकाम ढूंढता है ।
बड़ा बैचन सा रहता है वो आजकल ,
जरा सुकून ,जरा सा आराम ढूंढता है ।
दिल किसी चीज में लगता तो नहीं,
लेकिन दिल लगाने के बहाने हजार ढूंढता है ।
उसके कुछ कायदे दुनिया से जुदा है बिल्कुल,
वो एक शख्स में सारा जहान ढूंढता है ।
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