मैं ही क्यों ?
एक दिन बैठे- बैठे एक ख्वाब आया
तभी आंखों से बहते आंसुओं का मैंने साथ पाया
बोला मैंने, थक गई हूं अब रोते-रोते
अंदर से टूट गई हूं ,यह जिंदगी जीते जीते
अपनों ने भी साथ छोड़ दिया है
सब कुछ होते हुए भी सब कुछ खो दिया है
भरोसा नहीं है जब...
तभी आंखों से बहते आंसुओं का मैंने साथ पाया
बोला मैंने, थक गई हूं अब रोते-रोते
अंदर से टूट गई हूं ,यह जिंदगी जीते जीते
अपनों ने भी साथ छोड़ दिया है
सब कुछ होते हुए भी सब कुछ खो दिया है
भरोसा नहीं है जब...