...

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खुद की परछाई
आज वर्षो बाद खुद को देखा,
अक्स देख मन को शर्मा देखा,
मैं हूं या कोई और फरमाते देखा,
बदल गईं मेरी परछाई भी अब तो,
खुद को खुद से सवाल करते देखा,
क्या थी अब क्या हों गई,
अफसोस करते देखा,
जिंदगी की उलझनों में जूझते जूझते,
दिल की हर ख्वाहिश मरते देखा,
हैं खुदा को भी मलाल बदलाव पे,
मेरी हालत पे उसे रोते देखा,
अपनी परछाई भी अलग लगती है,
हूं मैं ही, कोई और लगती हैं,
आज परछाई पे शक करते देखा,
हां खुद को खुद से अलग देखा।
© Life is beautiful