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शीर्षक- बारिशें
शीर्षक- बारिशें

बारिशें सिर्फ खुशियाँ ही नहीं लाती,
बारिशें छीन लेती हैं कभी- कभी आशियाने।
बारिश में अमीर तो खा लेते हैं पेट भर खाना,
गरीबों से छीन लेती हैं,अनाज के इकट्ठे किये कुछ दाने।
बारिशें बीजों को अंकुरित करती हैं,
किसान को नई आशा देती हैं,
बारिशें बाढ़ बन बहा ले जाती हैं अंकुरित दाने।
ऊँचे मंजिल के घर तो बच जाते हैं कहर से,
जिनकी झोपड़ी डूब जाती हैं, उनका दर्द कोई न पहचाने।
बारिशें बेजुबान जानवरों से छीन लेती हैं, विश्राम की जगह,
ठंड और लगातार पानी में खड़ा रहना, उनकी व्यथा कोई न पहचाने,
बारिशें सिर्फ पानी नहीं बरसाती, बारिशें जिनका घर, नींद, और अनाज छीन लेती हैं,
बारिशें बन जाती हैं उनके दुखों का कारण,
आज एक प्रार्थना है सबसे की आपदाओं में मदद करें उनकी जो घर से बेघर हो गए हैं,
मदद की आश में देखते हैं जो आपकी तरफ, और आपके वीडियो बनाने के दौरान किये हुए सवालों से जो निरुत्तर हो गए हैं।
✍🏻🌺रिया दुबे🌺 ✍🏻
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© Riya Dubey