शीर्षक- बारिशें
शीर्षक- बारिशें
बारिशें सिर्फ खुशियाँ ही नहीं लाती,
बारिशें छीन लेती हैं कभी- कभी आशियाने।
बारिश में अमीर तो खा लेते हैं पेट भर खाना,
गरीबों से छीन लेती हैं,अनाज के इकट्ठे किये कुछ दाने।
बारिशें बीजों को अंकुरित करती हैं,
किसान को नई आशा देती हैं,
बारिशें बाढ़ बन बहा ले जाती हैं अंकुरित दाने।
ऊँचे मंजिल के घर तो बच जाते हैं कहर से, ...
बारिशें सिर्फ खुशियाँ ही नहीं लाती,
बारिशें छीन लेती हैं कभी- कभी आशियाने।
बारिश में अमीर तो खा लेते हैं पेट भर खाना,
गरीबों से छीन लेती हैं,अनाज के इकट्ठे किये कुछ दाने।
बारिशें बीजों को अंकुरित करती हैं,
किसान को नई आशा देती हैं,
बारिशें बाढ़ बन बहा ले जाती हैं अंकुरित दाने।
ऊँचे मंजिल के घर तो बच जाते हैं कहर से, ...