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मेरी न थी
माना हम मिले न कभी पर इश्क अधूरी न थी,
बेखबर थी तुम इन बातों से बाते हुई पूरी न थी।
लगाया पौधा गुलाब का क्या पता की काटे भी होंगे,
चाहा जिसे अपना बनाना न था पता ओ मेरी न थी।
कहती जो तू पास आके मेरे मैं दुनिया झुठला देता ,
दुनिया ही झुठलाती है अब मुझे की ओ तेरी न थी।
खफा खुद पे हूं या तुझपे करू दोनो ही फिजूल है,
गलत रहोपे चले थे हम जिसकी कोई मंजिले न थी।
© Savitri..
बेखबर थी तुम इन बातों से बाते हुई पूरी न थी।
लगाया पौधा गुलाब का क्या पता की काटे भी होंगे,
चाहा जिसे अपना बनाना न था पता ओ मेरी न थी।
कहती जो तू पास आके मेरे मैं दुनिया झुठला देता ,
दुनिया ही झुठलाती है अब मुझे की ओ तेरी न थी।
खफा खुद पे हूं या तुझपे करू दोनो ही फिजूल है,
गलत रहोपे चले थे हम जिसकी कोई मंजिले न थी।
© Savitri..
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