...

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चेहरे
दिलकश, दिलनशीं हसीन
हर महफ़िल की जान, चेहरे
ख़ामोश लब, करतीं कलाम निगाहें
बताते अनकहे अरमान, चेहरे

संजीदगी, शिकन लिए पेशानी
ख़ुद में दबाते कई तूफान, चेहरे
ग़म छिपाती नम निगाहें
लबों पर लिए मुस्कान, चेहरे

सी लेते लब, जज़्बात छिपा जाते
ख़ुद और जहां को बहकाते, नक़ाबी चेहरे
नज़र चुराते, मुलाक़ात से घबराते
शर्म से रुखसार गुलाबी, चेहरे

शरीक़-ए-बज़्म थे कभी
गुज़रते वक़्त में लगे धुंधलाने, चेहरे
कुछ माज़ी हुए, कुछ मुस्तकबिल हों शायद
जाने पहचाने अपनों से बेगाने, चेहरे।


© IdioticRhymer