ग़ज़ल
बशर तू शौक़ पूरे कर रहा है
मगर पापों का लोटा भर रहा है
अमर बस रूह होती है सभी की
अज़ल से जिस्म ही नश्वर रहा है
नहीं है ज़िंदगी हासिल सभी को
कोई ज़िंदा भी होकर मर रहा है
तुम्हें जो लग...
मगर पापों का लोटा भर रहा है
अमर बस रूह होती है सभी की
अज़ल से जिस्म ही नश्वर रहा है
नहीं है ज़िंदगी हासिल सभी को
कोई ज़िंदा भी होकर मर रहा है
तुम्हें जो लग...