...

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जज़्बात
कह नही पाते कितना घबराते
तुम बिन अब हम रह नही पाते
मुक्कमल सी बात तुमसे कह नही पाते
राहों में तुमको एक टक निहारते
माना की कभी मिलना मुनासिब न होगा
न तुम होंगे पर अधिकार तुम्हारा ही होगा...