...

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तुम्हे बस जाना ही था 😐
कुछ तो कहानी सच्ची थी तुम्हारी
और कुछ तुमने बनाई थी
कुछ मजबूरियां पक्की थी तुम्हारी
और कुछ तुमने बना कर सुनाई थी
पर मैंने बिना कुछ समझे तुम्हारी सारी बाते मानता गया
तुम बस कहती रही और मैं बस सुनता गया
गलती एक भी नही थी मेरी रिश्ते में
पर तुमने हर गलती मेरी गिनवाई थी
मुझे सब मंजूर था सिर्फ तुम्हारे बिछड़ने के फैसले को छोड़ कर
पर मुझे याद है आज भी वो शाम वो लम्हा
जब तुमने अपनी ये ज़िद भी मुझसे ज़िद करकर मनवाई थी


© ठाकुर जी