कब आएगें वो मौसम कामयाबी के॥
ना जाने किस सोच में डूबीं हूँ,
जिंदगी कहा जा रहीं और में कहा उलझी हूँ॥
जुल्फें सुलझाने का अब समय नहीं,
मंजिलों को पाने निकल पडीं हूँ॥
हाँ रास्ते कठिन...
जिंदगी कहा जा रहीं और में कहा उलझी हूँ॥
जुल्फें सुलझाने का अब समय नहीं,
मंजिलों को पाने निकल पडीं हूँ॥
हाँ रास्ते कठिन...