तेरे नयन
तेरी बातों की खूबसूरती यूँ दिल चुरा लेती है प्रिये,
दूर कितना भी होना चाहूँ पास बुला लेती है प्रिये।
मधुर सुधारस सिक्त हृदय तेरी मधुमय बोली से यूँ,
बातों में ही लगे जैसे तू यूँ अंग लगा लेती है प्रिये।
कितने सुंदर नयन-नक्श अधराधर कोमल...
दूर कितना भी होना चाहूँ पास बुला लेती है प्रिये।
मधुर सुधारस सिक्त हृदय तेरी मधुमय बोली से यूँ,
बातों में ही लगे जैसे तू यूँ अंग लगा लेती है प्रिये।
कितने सुंदर नयन-नक्श अधराधर कोमल...