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हकीकत
अरसे बाद मिली फुरसत उन्हें
अब जाके याद आई उल्फत उन्हें।
जिंदगी की भीड़ में खो से गए थे
अब याद आई रंज ए मसाफत उन्हें।
हिज़्र में रहने की आरज़ू नहीं थी मुझे
अब बा वफ़ा याद आई मुशक्कत उन्हें।
बड़ी रफ़्तार से बदल रहे अंजुमन यहां
अब याद आई ख़ुद की हकीकत उन्हें।
© Roshan ara
अब जाके याद आई उल्फत उन्हें।
जिंदगी की भीड़ में खो से गए थे
अब याद आई रंज ए मसाफत उन्हें।
हिज़्र में रहने की आरज़ू नहीं थी मुझे
अब बा वफ़ा याद आई मुशक्कत उन्हें।
बड़ी रफ़्तार से बदल रहे अंजुमन यहां
अब याद आई ख़ुद की हकीकत उन्हें।
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