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जान से अंजान बन गए
जिंदगी के सफ़र में सब कुछ सही चल रहा था की, हम जान से अंजान कैसे बन गए पता ही नहीं चला । रोज़ मुलाक़ातें हुआ करती थी, अब तो बीच सड़क पर आंखों में आंखें भी मिल ने को तरसती हैं |

सोचा नहीं था कि अपना सफ़र यहीं तक ही था | यकीन नहीं हो रहा है कि अपना प्यार फीका पड़ जाएगा कोई हमारे बीच आने से। वो कमबख्त प्यार ही क्या जो हमारे बीच में कोई ऐ।

तू जहां भी है जिसके साथ भी है दुवा करता हूं खुश रहे, तू मेरे साथ नहीं है तो क्या हुआ हमारी यादें जन्मों जन्मों तक भूलना मुमकिन कहा | तू ने सीखा तोह दिया जान से अंजान कैसे बनते है, हम बिछड़ ज़रूर गए एक दुसरे से लिकेन आप हमारे दिल में हमेशा के लिए बस गए | खैर कोई बात नहीं कहते है ना अंत ही नई शुरुआत है | जिंदगी के सफ़र में सब कुछ सही चल रहा था की, हम जान से अंजान कैसे बन गए पता ही नहीं चला ।

© siddhant🌱