शायरी- चांंद
चांंद पाने की चाह तो कर ली,
भूल बैठा कि मैं जमीं का हूं।
चांंद को देख टीस उठती है,
जाने किस्मत का है वो कौन धनी।
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भूल बैठा कि मैं जमीं का हूं।
चांंद को देख टीस उठती है,
जाने किस्मत का है वो कौन धनी।
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