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वक़्त तू थम ही जा, इसी दिन का था इंतज़ार
काफिला तारों का अपने दामन में समेटे हुए
चाँद सा मुखड़ा अपना घूँघट में छुपाए हुए
सुर्ख लिबास की दमक से बदन सजाये हुए
और दुल्हन बनकर उसके आने का है इंतज़ार
आज गीत है साज़ पर बस मिलन का है इंतज़ार
वक़्त तू थम ही जा, इसी दिन का था इंतज़ार

अनगिनित ख्वाबों को आँखों में सजाये हुए
हजारों ख़्वाहिशों को अपने मन में बसाये हुए
और जीवन से अपने कई उम्मीदें लगाए हुए
मेरी खुशी बनकर उसके आने का है इंतज़ार
मीत है वो मेरा, बस मिलन का है इंतज़ार
वक़्त तू थम ही जा, इसी दिन का था इंतज़ार

हाथों में मेहंदी और पावों में पायल पहने हुए
और गजरे में सूरज की रश्मियाँ लिए हुए
कलाई में कंगन, माथे पर टीका पहने हुए
नख-शिख सजकर उसके आने का इंतज़ार है
साथ मेरे है वेदी पर वो, बस मिलन का है इंतज़ार
वक़्त तू थम ही जा, इसी दिन का था इंतज़ार

© 'क़फ़स'

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