...

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इज़हार
मैं तुमसे इश्क़ का इजहार करता
माथे को चूमता,गले से लगता

राबता रखता रब से उसे तुम्हारे नाम से बुलाता
लोग कहते आशिक है वो लड़का
मैं तुम्हारा नाम लेकर मुस्कुराता

सब बाते बाते ही रह गई
और फिर तुम किसी और की हो गई

फिर यू हुआ की जमाने बाद
एक रोज तुमसे मिलना हुआ

चेहरे का नूर गायब था
आंखे थकी लग रही थी

गोरा रंग सावला पड़ गया था
शायद कुछ दूर हो गया था तुमसे तुम्हारा


तुमसे अब भी कह सकता तो कितनी
मोहब्बत है तुमसे,तुमको मैं बतलाता.......

कहानी अधूरी रही हमारी

© सियाह