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इज़हार
#abhimpoetry
इज़हार तुम्ही से हैं
हाँ प्यार तुम्ही से हैं
मेरी हर मंज़िल को बस
दरकार तुम्ही से है
हम ये न कहते
है कुछ राज़ नहीं मेरे
मिलते है सबसे पर
तुम हो ख़ास सनम मेरे
गम के बादल छाए थे जो
तुमने उसको हटाया है
मुझको मेरे ही होने का
एहसास दिलाया हैं
मलिका हो इस दिल की
है हर बात सनम तुमसे
मेरी हर कविता की
है प्राण सनम तुमसे
मेरे फौलादी शब्दों की
भी आवाज़ रही हो तुम
हा रब तो नही हो पर
कुछ कम भी नहीं हो तुम
© Abhishek maurya
इज़हार तुम्ही से हैं
हाँ प्यार तुम्ही से हैं
मेरी हर मंज़िल को बस
दरकार तुम्ही से है
हम ये न कहते
है कुछ राज़ नहीं मेरे
मिलते है सबसे पर
तुम हो ख़ास सनम मेरे
गम के बादल छाए थे जो
तुमने उसको हटाया है
मुझको मेरे ही होने का
एहसास दिलाया हैं
मलिका हो इस दिल की
है हर बात सनम तुमसे
मेरी हर कविता की
है प्राण सनम तुमसे
मेरे फौलादी शब्दों की
भी आवाज़ रही हो तुम
हा रब तो नही हो पर
कुछ कम भी नहीं हो तुम
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