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पर्यावरण का सुधारण करें...
परम श्रेष्ठ रचनाकार ईश्वर के,
अद्भुत अनोखा अनमोल अप्रतिम रचना है
यह सुंदर सुशोभित स्वर्ग सी प्रकृति निसर्ग।।

एक तरफ ऊंची ऊंची वादियां।
उनके पैरों तले,
जुल~जुल मंजुल निनाद से बहती नदियां।।

ऊपर विशाल नील गगन की चादर,
उसमें आंख मिचौली खेलते हुए
सूरज चांद सितारे।
पूरा जहान में
अती सुंदर यह जमीन हमारे।।

एक तरफ हरी भरी हरियाली,
दूसरी तरफ बंजर जमीन रेत भरी,
संपूर्ण खाली खाली।।

उड़ते पंछी, तैरते मछलियां,
मृग खग, कानन उपवन, पेड़ पौधे पत्तियां,
फल फूल सब्जियां।।

सागर, समंदर, झरना
देख देखकर भर जाते हैं नयना।
वाह, मैं कैसे वर्णन करूं, सब शब्दातीत हैं।
नयन मनोहर यह सृष्टि,
मन बहार हमारे दृष्टि।।

हम खुशनसीब है कितना,
अजीब है,
इतने अजूबे हमारे करीब हैं,
हमारे नसीब में हैं।।

ईश्वर ने बनाया यह सब हमारे लिए।
यह पर्यावरण, यह वातावरण को संभालना,
अच्छा रखना हमारा ही आद्य कर्तव्य है।
हम इनको सदा प्यार से संभालेंगे।।

© Vanishri Patil
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